बीते कुछ समय से देश में साइबर फ्रॉड के मामलों में इजाफा देखने को मिल रहा था. अपराधी खुद को एक अधिकारी बताकर लोगों के साथ फ्रॉड करते आए हैं. बढ़ते मामलों को देख पुलिस ने जनजागरूकता अभियान चलाया और इसके परिणाम अब धीरे-धीरे देखने को मिल रहें है. अभियान में कई तरीकों से लोगों को समझाया गया, जैसे कॉल पर पहले सूचित करना, शैक्षणिक संस्थानों में सेमिनार करना और लोगों के बीच जाकर बातचीत करना शामिल है.
साइबर फ्रॉड पर इंदौर क्राइम ब्रांच के एडिशनल डीसीपी राजेश डंडोतिया ने एनडीटीवी से बातचीत में बताया कि किस तरीके से नए साल के शुरुआत से अब इन मामलों में गिरावट हुई है. साथ ही कहा कि यह खुशी की बात है इस वर्ष में अभी तक को भी डिजिटल अरेस्ट का केस सामने नहीं आया है. उन्होंने लोगों से जीरो ट्रस्ट पॉलिसी रखने को कहा है. आगे उन्होंने बताया अब ऐसा कोई परिवार नहीं बचा है, जिसका कोई भी सदस्य साइबर फ्रॉड का शिकार ना हुआ हो.
ऐसे ही एक केस के बारे में उन्होंने बताया कि तीन दिन पहले कर्नाटक में एक दंपती ने सुसाइड कर लिया था, क्योंकि उन्हें डिजिटल अरेस्ट किया गया था. इसके बाद उनसे एक करोड़ से भी अधिक की धनराशि ले ली गई. ऐसे ही हादसों से बचने के लिए पुलिस देश में अवेयरनेस प्रोग्राम (जागरूक कार्यक्रम) चला रही है.
दिन भर में कई शिकायतें प्राप्त होती हैं, जिनमें इन्वेस्टमेंट फ्रॉड भी शामिल है. इसमें बैलेंस ऐप के जरिए पैसा क्रिप्टोकरेंसी और बिटकॉइन में बदलकर विदेश भेज दिया जाता है. एडिशनल डीसीपी दंडोतिया ने बताया इन मामलों का लिंक कंबोडिया, हॉन्गकॉन्ग और म्यांमार जैसे देशों में मिला.