हाई एल्टीट्यूड इलाकों में भारतीय सेना के लिए केरोसिन किसी वरदान से कम नहीं है। लेकिन केरोसिन बहुत अधिक धुंआ छोड़ता है, जो पर्यावरण के लिए न केवल नुकसानदायक है, बल्कि सेना के जवानों के स्वास्थ्य के लिए भी हर लिहाज से नुकसानदेह है। वहीं, सेना अब ग्रीन एनर्जी पर जोर दे रही है। सेना पर्यावरण सरंक्षण को ध्यान में रखते हुए अपने बेड़े में इलेक्ट्रिक गाड़ियों के अलावा हाइड्रोजन बसें भी शामिल कर रही है। इसके अलावा हाई एल्टीट्यूड इलाकों में बिजली की जरूरतों को पूरा करने के लिए सेना सोलर पावर प्रोजेक्ट्स के साथ हाइड्रोजन बेस्ड पावर प्लांट्स भी लगा रही है। साथ ही, खाना पकाने के लिए केरोसिन की बजाए एलपीजी सिलंडर इस्तेमाल में ला रही है
केरोसिन की बजाए सिलंडर का इस्तेमाल
सेना के वरिष्ठ सूत्रों ने बताया कि पर्यावरण संरक्षण को देखते हुए कई तरह के कदम उठाए जा रहे हैं। हाई एल्टीट्यूड इलाकों में सेना ग्रीन फ्यूल और ग्रीन एनर्जी पर जोर दे रही है। वहीं सेना में केरोसिन और कोल बुखारी का इस्तेमाल घटाने के लिए कई प्रयास भी किए जा रहे हैं। इनमें एलपीजी की सिलंडर का इस्तेमाल शामिल है। सेना अब हाई एल्टीट्यूड इलाकों में खाना बनाने के लिए 10 किग्रा के सिलंडर भेज रही है। वहीं, भारतीय सेना ने कार्बन फुटप्रिंट घटाने के लिए इलेक्ट्रिक बसें शुरू की हैं और धीरे-धीरे अपने बेड़े में इलेक्ट्रिक कारें, मोटरसाइकिलें और बसें शामिल कर रही है। भारतीय सेना ने सेना मुख्यालय में ग्रीन हाइड्रोजन बस शुरू करने के लिए आईओसीएल के साथ साझेदारी की।
सेना लद्दाख में चीनी सीमा से सटे हाई एल्टीट्यूड इलाके चुशूल में स्थित सैन्य छावनी और लेह में ग्रीन हाइड्रोजन बसों को बिजली देने के लिए ग्रीन हाइड्रोजन प्लांट स्थापित करने के लिए एनटीपीसी के साथ साझेदारी की है। इसके लिए 200 किलो वॉट का प्लांट लगाया है। यह प्लांट ग्रीन हाइड्रोजन आधारित माइक्रोग्राम, दुर्गम इलाकों और प्रतिकूल जलवायु परिस्थितियों में तैनात सैनिकों को 24×7 बिजली प्रदान करेगा। हाइड्रोजन ईंधन सेल टेक्नोलॉजी एक इलेक्ट्रो-केमिकल प्रक्रिया के माध्यम से हाइड्रोजन गैस को बिजली में बदलता है, जिससे ग्रीन एनर्जी प्राप्त होती है। इस प्रक्रिया में जल वाष्प ही एकमात्र उप-उत्पाद के रूप में बचता है, जिससे शून्य उत्सर्जन सुनिश्चित होता है। इसके अलावा इथेनॉल-20 और बीएस VI में बदलाव की दिशा में भी काम हो रहा है, साथ ही यह सुनिश्चित करने की कोशिश की जा रही है कि हमारे वाहन प्रतिकूल मौसम में भी उबड़-खाबड़ इलाकों में चलने के लिए तैयार रहें। साथ ही, भारतीय सेना ने सियाचिन बेस कैंप सहित 68 सोलर प्लांट भी लगाए हैं।
सेना का कहना है कि सैन्य स्टेशन और छावनी हमेशा से स्वच्छ हवा के लिए जाने जाते हैं। इस दिशा में आगे बढ़ते हुए भारतीय सेना ने अपने सैन्य स्टेशनों को लैंड फिल फ्री बनाने के लिए अपशिष्ठ मुक्त सैन्य अभियान (AMSA) शुरू किया है। इसके लिए नगरपालिकाओं से संपर्क किया गया है। भारतीय सेना अगले 5 सालों में अपने सभी 306 सैन्य स्टेशनों को लैंडफिल मुक्त बनाने की योजना बना रही है। सूत्रों ने बताया कि नया बनने वाले थल सेना भवन एक GRIHA 4 प्लस बिल्डिंग है, जिसमें हरित मानकों का ध्यान रखा गया है। इसके अलावा भारतीय सेना मिलिट्री स्टेशनों में ‘एक पेड़ मां के नाम’ से पौधारोपण अभियान भी चल रही है। यह अभियान विश्व पर्यावरण दिवस 2024 पर शुरू की गई प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल को आगे बढ़ाते हुए शुरू की गई है। जिसमें मां और पर्यावरण के बीच संबंधों पर जोर दिया गया है, जिसमें प्रत्येक सैन्यकर्मी, उनके परिवार और दिग्गजों को एक-एक पेड़ लगाने के लिए प्रेरित किया जाता है। अभी तक भारतीय सेना ने कुल 44.7 लाख पेड़ लगा चुकी है।