राजनीति, स्लो रोमांस और प्रहलाद के दर्द से भरा है ‘पंचायत 3’

‘पंचायत’ का तीसरा सीजन करीब 2 साल के इंतजार के बाद आखिरकार प्राइम वीडियो पर दस्तक दे चुका है। जो लोग पंचायत के बाकी दो सीजन देख चुके हैं, उन्हें इसकी कहानी से लेकर खामियों के बारे में पूरी जानकारी होगी। लेकिन, जिन्होंने पंचायत के बाकी 2 सीजन नहीं देखे, उन्हें तीसरा सीजन देखने से पहले के 2 सीजन जरूर देखने चाहिए। एआई और तमाम तरह के विजुअल इफेक्ट्स के जमाने में ‘पंचायत’ जैसी वेब सीरीज का बनना दर्शकों के लिए थोड़ा हैरानी भरा है। तभी तो दर्शकों के बीच इसे इतना पसंद भी किया गया। पंचायत ग्रामीण भारत पर आधारित अब तक कि सबसे बेहतरीन वेब सीरीज में से एक है। अब पंचायत का तीसरा सीजन भी आ गया है, जो बहुत सारी भावनाओं की मिश्रित ताजी हवा का झोंका है। लगभग 35 से 40 मिनट के ये 8 एपिसोड आपको एक बार फिर फुलेरा गांव में ले जाते हैं और वो एहसास कराते हैं जो शायद लोगों ने महसूस करना बंद कर दिया है।

‘पंचायत 3’ के कलाकारों पर एक नजर

‘पंचायत 3’ की कहानी की बात करें तो सीरीज की कहानी चंदन कुमार ने लिखी है। वहीं इस सीरीज का निर्देशन दीपक कुमार मिश्र ने किया है। आठ एपिसोड वाली इस सीरीज की कहानी रघुवीर यादव (प्रधान मंजू देवी के पति बृजभूषण दुबे), नीना गुप्ता (प्रधान मंजू देवी), जितेंद्र कुमार (पंचायत सचिव अभिषेक त्रिपाठी), फैसल मलिक (उप-प्रधान प्रहलाद पांडे), चंदन राय (सचिव सहायक विकास), सानविका (प्रधान की बेटी रिंकी), सुनीता राजवार (क्रांति देवी), अशोक पाठक (विनोद) और दुर्गेश कुमार (भूषण) के इर्द-गिर्द घूमती है।

इस बार फुलेरा गांव की कहानी एक नए सचिव के पहले दिन काम पर लौटने की कोशिश से शुरू होती है, जबकि फुलेरा के लोग अपने पुराने सचिव अभिषेक त्रिपाठी को वापस लाने की कोशिश में जुटे हैं। जितेंद्र कुमार द्वारा अभिनीत, सचिव जी, जो ट्रांसफर के चलते गांव छोड़ चुके हैं रिंकी (संविका) के संपर्क में रहते हैं। इसी बीच सचिव जी की वापसी होती है और इससे वह बहुत खुश हैं। हालांकि, वापस आने के बाद अभिषेक को एमबीए की तैयारी के साथ-साथ कई समस्याओं से जूझना पड़ा, जैसे ग्राम आवास योजना के तहत फुलेरा पूर्व और पश्चिम में दिए गए मकानों को लेकर विवाद। विधायक और गांव वालों के बीच टकराव और इसी के साथ सचिव जी और रिंकी की प्रेम कहानी आगे बढ़ती है।

प्रहलाद जी भी बढ़ते हैं आगे

रघुबीर यादव द्वारा अभिनीत प्रधान पति और नीना गुप्ता द्वारा अभिनीत असली प्रधान जी हमेशा की तरह प्यारे हैं। चंदन रॉय उर्फ ​​विकास के पास भी इस सीजन में बेहतर पारिवारिक समय है। इसके अलावा, दर्शकों को उनकी पत्नी का किरदार तृप्ति साहू द्वारा निभाया हुआ भी देखने को मिलता है। फैसल मलिक द्वारा जीवंत किए गए प्रहलाद जी बेटे की शहादत के बाद जीवन में आगे बढ़ते हैं और उनकी कहानी के साथ-साथ हम भी आगे बढ़ते हैं और शायद इंतजार कर सकते हैं और सोच सकते हैं कि हम जीवन में कितना आगे बढ़े हैं और हम कितना दूर भाग सकते हैं।

डायरेक्शन और लेखन

पहले दो सीजन की तरह ये सीरीज भी आपको इन किरदारों से खुद से जोड़ती है और बहुत कुछ महसूस कराती है। चंदन कुमार और दीपक कुमार मिश्रा की लेखक और निर्देशक जोड़ी के पास पंचायत के इस सीजन में भी कहने के लिए बहुत कुछ है। सीरीज के छोटे-छोटे किरदार और घटनाएं भी आपके दिल में जगह बना लेंगे। जैसे मुफ्त का घर मिल जाए, एक बेटा अपनी बूढ़ी मां से लड़ता है, लेकिन उसे घर से बाहर नहीं निकाल पाता। इस मामले में प्रहलाद का हस्तक्षेप और घर के बारे में उसका विचार सीरीज का दिल तोड़ देने वाला पल है। यही नहीं, प्रहलाद अपने बैंक खाते से गांव के लिए 5 लाख रुपये लाते हैं। उनका विकास से यह कहना कि उन्हें अपने बेटे की पढ़ाई की चिंता नहीं करनी चाहिए, यह बताता है कि इंसानियत और मासूमियत दोनों जिंदा हैं। यह वेब सीरीज आपको यह एहसास कराती है कि शहरों में जिंदगी भले ही तेजी से आगे बढ़ सकती है, लेकिन इन बड़े शहरों में रहने वाले जिस शांति की तलाश करते हैं वह सिर्फ गांवों में ही मिलती है।

सचिव जी के किरदार में एक बार फिर जितेंद्र कुमार दमदार लगते हैं। वह फुलेरा गांव में वापसी से खुश हैं, लेकिन ना चाहते हुए भी हमेशा की तरह इस बार फिर यहां की राजनीति का हिस्सा बन जाते हैं। दूसरी तरफ रिंकी के साथ उनकी लव स्टोरी भी धीरे-धीरे आगे बढ़ रही है। प्रधान पति के रूप में रघुवीर यादव की एक्टिंग पिछले सीजन्स की तरह इस बार भी शानदार है। नीना गुप्ता का काम भी हमेशा की तरह शानदार है। विकास की भूमिका में चंदन रॉय ने एक बार फिर अच्छा काम किया है और संविका भी रिंकी के रोल में परफेक्ट लगती हैं, उनका सिंपल और सहज अंदाज दिल जीत लेता है। विधायक के रूप में पंकज झा जबरदस्त हैं, वे इस गांव में अराजकता की जड़ हैं और उन्होंने इस भूमिका को बहुत मजबूती से निभाया है। लेकिन, एक एक्टर जो इस सीजन में सब पर भारी पड़ा है वो हैं फैसल मलिक। प्रहलाद के किरदार में उनका काम जबरदस्त है, फैसल आपको एक ऐसे पिता का एहसास कराते हैं जिसने अपना बेटा खो दिया है। ‘समय से पहले कोई नहीं जाएगा’ डायलॉग के प्रति उनकी आंखों में बेटे के जाने का गम किसी की भी आंखें नम कर सकता है।