ईरान के 3 न्यूक्लियर साइट्स पर किए गए अमेरिकी हमले में तेहरान के परमाणु ठिकानों को बहुत भारी नुकसान पहुंचा है। इस बात को ईरान ने अब खुद ही स्वीकार कर लिया है। ईरान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता इस्माइल बघाई ने बुधवार को पुष्टि की कि बीते हफ्ते हुए अमेरिकी हमलों में देश के परमाणु ठिकानों को गंभीर नुकसान हुआ।
दुबई: ईरान के 3 न्यूक्लियर साइट्स पर किए गए अमेरिकी हमले में तेहरान के परमाणु ठिकानों को बहुत भारी नुकसान पहुंचा है। इस बात को ईरान ने अब खुद ही स्वीकार कर लिया है। एपी की एक रिपोर्ट के अनुसार ईरान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता इस्माइल बघाई ने बुधवार को पुष्टि की कि बीते हफ्ते हुए अमेरिकी हमलों में देश के परमाणु ठिकानों को गंभीर क्षति पहुंची है।
अल जज़ीरा को दिए गए बयान में बघाई ने हमलों का अधिक विवरण देने से इनकार किया, लेकिन स्वीकार किया कि रविवार को अमेरिकी B-2 बॉम्बर्स द्वारा किए गए बंकर-बस्टर बमों के हमले “काफी प्रभावशाली” रहे। उन्होंने कहा, “हमारे परमाणु ठिकानों को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचा है, इसमें कोई शक नहीं।”
अमेरिका ने क्यों किया था हमला?
अमेरिका ने रविवार को ईरान की तीन प्रमुख परमाणु केंद्रों पर हमला किया था। इनमें नतांज़, फोर्दो और इस्फ़हान का नाम शामिल है। इन हमलों का उद्देश्य ईरान की परमाणु संवर्धन क्षमताओं को नष्ट करना था। अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) की रिपोर्टों और उपग्रह आंकड़ों से इन हमलों की गंभीरता का अंदाजा लगाया था। मगर ईरान अब तक अमेरिकी हमले से परमाणु ठिकानों को नुकसान पहुंचने की बात को नकारता रहा था। मगर अब ईरान ने खुद माना है कि उसके परमाणु ठिकानों को अमेरिकी हमलों में नुकसान पहुंचा है।
इन परमाणु केंद्रों पर किया था अमेरिका ने हमला
नतांज़ परमाणु सुविधा
यह ईरान का मुख्य यूरेनियम संवर्धन केंद्र था, जिसको अमेरिकी हमले से बड़ा झटका लगा है। यह परमाणु ठिकाना ईरान के केंद्रीय पठार में तेहरान से 220 किलोमीटर दक्षिण-पूर्व में स्थित है। नतांज़ परमाणु केंद्र ईरान का प्रमुख यूरेनियम संवर्धन केंद्र है। यहां भूमिगत संरचनाओं में सैकड़ों सेंट्रीफ्यूज कैस्केड कार्यरत थे, जो 60% तक यूरेनियम संवर्धन कर सकते थे और जो हथियार-ग्रेड स्तर से थोड़ा ही नीचे है।
फोर्दो परमाणु सुविधा केंद्र
यह तेहरान से लगभग 100 किलोमीटर दक्षिण-पश्चिम में स्थित है। फोर्दो एक छोटी, लेकिन ईरान का रणनीतिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण परमाणु सुविधा केंद्र है। 2007 में शुरू हुई इस साइट के बारे में ईरान ने 2009 में IAEA को जानकारी दी थी, जब इसकी पहचान अमेरिकी और पश्चिमी खुफिया एजेंसियों द्वारा की गई। यह साइट पहाड़ के नीचे स्थित है और इसे विशेष रूप से हवाई हमलों से सुरक्षित रखने के लिए बनाया गया है। अमेरिका ने GBU-57A/B ‘मैसिव ऑर्डनेंस पेनेट्रेटर’ बम का इस्तेमाल करके इस ठिकाने को नष्ट करने का दावा किया था। अमेरिका का यह बम लगभग 30,000 पाउंड वजनी होता है और कई मीटर गहराई तक घुसकर विस्फोट करने की क्षमता रखता है। इसे B-2 स्पिरिट स्टील्थ बॉम्बर द्वारा परमाणु साइट पर गिराया गया।
इस्फ़हान परमाणु सुविधा
इस्फ़हान परमाणु केंद्र तेहरान से 350 किलोमीटर दक्षिण-पूर्व में स्थित है। ईरान के परमाणु कार्यक्रम में यह भी एक प्रमुख वैज्ञानिक और अनुसंधान केंद्र है। यहां हजारों वैज्ञानिक कार्यरत हैं और इसमें तीन चीनी अनुसंधान रिएक्टर, यूरेनियम रूपांतरण संयंत्र (UCF), और कई प्रयोगशालाएं शामिल हैं। इज़रायल द्वारा इस स्थान पर हाल ही में हवाई हमला किया गया, जिसमें यूरेनियम रूपांतरण सुविधा को लक्ष्य बनाया गया। अमेरिका ने इस परमाणु केंद्र पर भी बी-2 बॉम्बर से बड़ा हमला किया था। (एपी)