भारी बारिश और बाढ़ के कारण एक अप्रैल से अब तक 12 राज्यों में 1.58 लाख हेक्टेयर से अधिक फसल क्षेत्र प्रभावित हुआ है। सरकारी आंकड़ों से यह जानकारी मिली है। प्रभावित क्षेत्र में कृषि और बागवानी दोनों फसलें शामिल हैं।
लोकसभा में केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मानसून सीजन 2025 के दौरान ओलावृष्टि, भारी वर्षा और बाढ़ के कारण प्रभावित फसल क्षेत्र का विविरण साझा किया। चौहान ने कहा कि प्रभावित फसलों में धान, गेहूं, जौ, सरसों, ज्वार, बाजरा, मक्का, प्याज और बागवानी फसलें शामिल हैं।
राज्यों में प्रभावित फसल क्षेत्र
- अरुणाचल प्रदेश में 1,706.667 हेक्टेयर
- असम में 35,024 हेक्टेयर
- कर्नाटक में 18,093 हेक्टेयर
- महाराष्ट्र में 91,429 हेक्टेयर
- मणिपुर में 439.776 हेक्टेयर
- मेघालय में 6,372.302 हेक्टेयर
- नागालैंड में 11 हेक्टेयर
- ओडिशा में 753 हेक्टेयर
- सिक्किम में 5.662 हेक्टेयर
- जम्मू और कश्मीर 1239.09 हेक्टेयर
- उत्तराखंड 8.468 हेक्टेयर
- पंजाब 3,569.11 हेक्टेयर
राज्य सरकार उठाएगी नुकसान की जिम्मेदारी
चौहान ने कहा कि राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन योजना (NDMP) के अनुसार, आपदा प्रबंधन की प्राथमिक जिम्मेदारी, जिसमें नुकसान का आकलन और जमीनी स्तर पर राहत उपायों की व्यवस्था शामिल है, संबंधित राज्य सरकारों की होती है। उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार राज्य सरकारों के प्रयासों को पूरक सहायता प्रदान करती है, जिसमें लॉजिस्टिक और वित्तीय समर्थन शामिल है।
SDRF और NDRF के तहत सहायता राशि
राज्य सरकारें 12 अधिसूचित प्राकृतिक आपदाओं की स्थिति में प्रभावित लोगों को राज्य आपदा प्रतिक्रिया कोष (एसडीआरएफ) से वित्तीय राहत देती हैं। हालांकि, अगर आपदा ‘गंभीर प्रकृति’ की हो, तो निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया कोष (एनडीआरएफ) से अतिरिक्त वित्तीय सहायता दी जाती है। इस प्रक्रिया में एक अंतर-मंत्रालयी केंद्रीय टीम द्वारा आपदा प्रभावित क्षेत्र का दौरा कर आकलन करना शामिल होता है।