विश्वप्रसिद्ध तबलावादक जाकिर हुसैन को गुरुवार को सैन फ्रांसिस्को के कब्रिस्तान में सुपुर्द-ए-खाक किया गया। इस दौरान प्रसिद्ध तालवादक ए शिवमणि और अन्य कलाकारों ने उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए थोड़ी दूरी पर अपने ड्रम बजाए। जाकिर हुसैन ने 73 वर्ष की आयु में इस दुनिया को अलविदा कह दिया।
जाकिर हुसैन के अंतिम संस्कार में उनके सैकड़ों प्रशंसक उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए एकत्र हुए। शिवमणि और कई अन्य संगीतकारों ने उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए थोड़ी दूरी पर ड्रम बजाए। शिवमणि ने पीटीआई से कहा, “ताल ही ईश्वर है, वह आप हैं जाकिर भाई। 1982 से लेकर अब तक के हमारे सफर में मैंने बहुत कुछ सीखा है। हर पल आप लय में हमारे साथ होते हैं। जब भी मैं लय पकड़ता हूं, आप वहां होते हैं। हम आपसे प्यार करते हैं जाकिर भाई। आपकी यात्रा सुखद रहे। सभी उस्तादों को मेरा प्रणाम दें।
5 ग्रैमी मिले जाकिर हुसैन को
मशहूर तबला वादक अल्ला रक्खा के बेटे जाकिर हुसैन ने इस तबला के क्षेत्र में क्रांति ला दी, वह इसे शास्त्रीय संगीत की सीमाओं से परे जैज और पश्चिमी शास्त्रीय संगीत सहित अन्य रूपों में ले गए। भारत के सबसे प्रसिद्ध संगीतकारों में से एक ने छह दशकों के करियर में पांच ग्रैमी पुरस्कार जीते हैं, जिनमें से तीन इस साल की शुरुआत में 66वें ग्रैमी पुरस्कार में मिले
पद्म श्री, पद्म भूषण और पद्म विभूषण से हुए सम्मानित
जाकिर हुसैन को साल 1988 में पद्म श्री, 2002 में पद्म भूषण और 2023 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया। अपने छह दशकों के करियर में, संगीतकार ने कई प्रसिद्ध अंतरराष्ट्रीय और भारतीय कलाकारों के साथ काम किया। जाकिर हुसैन के निधन के बाद पूरे कला जगत में शोक की लहर दौड़ पड़ी। लोगों ने सोशल मीडिया पर उन्हें श्रद्धांजलि देनी शुरू कर दी।