सनातन परंपरा में नवरात्रि की अष्टमी जिसे दुर्गा अष्टमी भी कहते हैं और नवमी तिथि जिसे महानवमी भी कहते हैं, उस दिन देवी की प्रतीक मानी जाने वाली कन्याओं की विशेष पूजा करने का विधान है. इस दिन देवी स्वरूप कन्याओं को घर में बुलाकर उनका विधि-विधान से पूजन करने पर नवरात्रि के 9 दिनों का पुण्यफल प्राप्त होता है. यही कारण है कि देवी का हर साधक नवरात्रि अष्टमी या नवमी तिथि के दिन इस पूजा की तैयारी पहले से करना प्रारंभ कर देता है. आइए जानते हैं कि नवरात्रि में कन्या का पूजन कब और किस विधि से करना उचित रहेगा.
क्यों किया जाता है कन्या पूजन?
देवी भागवत पुराण के अनुसार, ऐसा माना जाता है कि ये छोटी कन्याएं देवी दुर्गा का स्वरूप हैं. इसी मान्यता को ध्यान में रखते हुए भगवती के भक्त नवरात्रि के अंतिम दिनों में 09 कन्याओं और एक बालक जिन्हें लंगूर मानकर पूजा जाता है, आदर के साथ अपने घर में आमंत्रित करते हैं. इस दिन कन्याओं को देवी का 09 स्वरूप मानकर उनकी विशेष पूजा की जाती है और उनका आशीर्वाद लिया जाता है.
कब और कैसे करें कन्या पूजन?
इस नवरात्रि आप अपनी आस्था के अनुसार अष्टमी या नवमी तिथि पर देवी स्वरूप कन्याओं को अपने घर में आदर के साथ बुलाकर पूजा कर सकते हैं. नवरात्रि की अष्टमी तिथि 30 सितंबर 2025 को और नवमी तिथि 01 अक्टूबर 2025 को रहेगी. ऐसे में नवरात्रि के आखिरी दिन में इस पूजा के लिए 2 से 10 साल की कन्याओं का चयन किया जाता है. जब आपके घर में कन्याएं आ जाएं तो सबसे पहले उनका पैर धोकर उसे साफ कपड़े से पोंछे. इसके बाद उन्हें एक आसन पर बिठाकर उन्हें रोली-चंदन आदि का तिलक लगाएं और उनके हाथों में कलावा बांधें.
इसके बाद उन्हें हलवा-पूरी, मसालेदार चने और नारियल-बताशा जो कुछ आपके पास हो उन्हें भोग लगाएं. कन्याओं के लिए बनाए जाने वाले किसी भी चीज में प्याज-लहसुन का प्रयोग न करें और उसे पवित्रता के साथ बनाकर पहले से रख लें. कन्या पूजन और भोग प्रसाद हो जाने के बाद उन्हें अपनी क्षमता के अनुसार धन, वस्त्र, फल, उपहार आदि देकर आशीर्वाद लें और उन्हें आदरपूर्वक विदा करें.
कंजक पूजा का धार्मिक महत्व
कंजक पूजन नवरात्रि के अंतिम दिन अष्टमी या नवमी तिथि को किया जाता है. इस परंपरा के पीछे देवी स्वरूपा कन्याओं को पवित्र आत्मा मानकर उनका विशेष पूजन किया जाता है, जिनमें किसी भी प्रकार की नकारात्मक भावना नहीं होती. इस पूजन में नौ कन्याओं की पूजा करना देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा करने के समान माना गया है.