सावन में घर पर ऐसे करें भोलेनाथ की आराधना

श्रावण मास, जिसे हम सावन के नाम से जानते हैं, भगवान शिव की आराधना का सबसे पावन महीना माना जाता है. यह महीना शिवभक्तों के लिए बेहद खास होता है क्योंकि माना जाता है कि इस समय भोलेनाथ बहुत शीघ्र प्रसन्न हो जाते हैं और भक्तों को मनचाहा वरदान देते हैं. अगर आप मंदिर नहीं जा पा रहे हैं तो कोई बात नही. घर पर भी आप पूरी श्रद्धा और विधि-विधान से भोलेनाथ की पूजा कर सकते हैं और सौभाग्य के द्वार खोल सकते हैं. आइए जानते हैं सावन में घर पर शिव आराधना की पूजा विधि के बारे में .

सावन में घर पर ऐसे करें भोलेनाथ की पूजा

सुबह जल्दी उठकर स्नान करने के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें. इसके बाद पूजा स्थल को साफ करें और मन में शिवजी का ध्यान करें. पूजा शुरू करने से पहले हाथ में जल लेकर अपनी मनोकामना कहते हुए पूजा का संकल्प लें. लकड़ी की चौकी पर साफ वस्त्र बिछाकर शिवलिंग या शिव परिवार की तस्वीर स्थापित करें. सावन में प्रतिदिन “ॐ नमः शिवाय” या “महामृत्युंजय मंत्र” का कम से कम 108 बार जाप करें. इससे मानसिक शांति और नकारात्मक ऊर्जा से मुक्ति मिलती है. शिवलिंग पर सबसे पहले जल चढ़ाएं. फिर दूध, दही, घी, शहद और गंगाजल या शुद्ध जल से बारी-बारी स्नान कराएं.

हर बार स्नान के बाद शुद्ध जल चढ़ाएं. शिवलिंग को सफेद वस्त्र अर्पित करें.चंदन और भस्म का तिलक लगाएं. अक्षत और फूल चढ़ाएं. धतूरा और आक के फूल विशेष रूप से अर्पित करें. शिवजी को बेलपत्र बहुत ही प्रिय है. तीन पत्तियों वाला बेलपत्र उत्तम माना जाता है. ये भी शिवजी को चढ़ाए जाते हैं.

धूप जलाएं और दीपक प्रज्ज्वलित करें. फल और मिठाई का भोग लगाएं. ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का जाप कम से कम 108 बार करें.आप शिव चालीसा या महामृत्युंजय मंत्र का पाठ भी कर सकते हैं.आखिर में कपूर या घी के दीपक से शिवजी की आरती करें. पूजा में हुई किसी भी त्रुटि के लिए क्षमा याचना करें और अपनी मनोकामना दोहराते हुए आशीर्वाद मांगे. सावन में शिव पूजा के लिए आप मिट्टी का शिवलिंग बना सकते हैं या बाजार से भी ला सकते हैं.

सावन में इन बातों का रखें खास ध्यान

  • सावन के महीने में मांसाहार और तामसिक भोजन से बचें.
  • सावन के दौरान मन और शरीर की शुद्धता बनाए रखें.
  • इस पवित्र महीने में गरीबों और जरूरतमंदों को दान करना शुभ माना जाता है.
  • यदि संभव हो तो सावन के सोमवार का व्रत रखें, यह अत्यंत फलदायी माना जाता है.
  • इस दौरान किसी से वाद-विवाद या क्रोध करने से बचना चाहिए.