बुद्ध पूर्णिमा आज, जानें महत्व, पूजा मुहुर्त और क्यों मनाया जाता है यह पर्व

हिंदू धर्म में बुद्ध पूर्णिमा का विशेष महत्व है और यह शुभ पर्व 12 मई यानी आज है. हर वर्ष वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को बुद्ध पूर्णिमा का पर्व मनाया जाता है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन भगवान विष्णु के 9वें अवतार गौतम बुद्ध का जन्म हुआ था इसलिए वैशाख पूर्णिमा को बुद्ध पूर्णिमा भी कहा जाता है. वैशाख पूर्णिमा को केवल बुद्ध का जन्म ही नहीं हुआ था बल्कि इस दिन बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुई थी और इसी दिन उनका महानिर्वाण भी हुआ था. आइए जानते हैं बुद्ध पूर्णिमा का महत्व, पूजा विधि और क्यों मनाया जाता है यह पर्व…

इसलिए मनाई जाती है बुद्ध पूर्णिमा
आज भगवान बुद्ध की 2587वीं जयंती है. बुद्ध पूर्णिमा के दिन बोधगया में दुनियाभर से बौद्ध धर्म मानने वाले एकत्रित होते हैं और बोध वृक्ष की पूजा करते हैं. सभी सुख-सुविधाओं और गृह त्याग करने के बाद राजुकमार सिद्धार्थ सत्य की खोज में सात साल तक वन वन भटकते रहे. राजकुमार ने तपस्वी जीवन अपनाया और कठोर तपस्या की. अंतत: वैशाख पूर्णिमा के दिन बोधगया वृक्ष के नीचे उनको बुद्धत्व ज्ञान की प्राप्ति हुई और राजकुमार सिद्धार्थ गौतम बुद्ध बन गए. भगवान बुद्ध की जब आंख खुली तो उन्होंने खीर पीकर अपना व्रत का पारण किया इसलिए इस दिन घर में खीर बनाई जाने की परंपरा शुरू हुई. साथ ही आज भगवान बुद्ध को खीर का प्रसाद भी चढ़ाया जाता है.

बुद्ध पूर्णिमा 2025 आज
पूर्णिमा तिथि का प्रारंभ – 11 मई, शाम 6 बजकर 55 मिनट से
पूर्णिमा तिथि का समापन – 12 मई, शाम 7 बजकर 22 मिनट पर
उदिया तिथि को मानते हुए 12 मई दिन सोमवार को यानी आज बुद्ध पूर्णिमा का पर्व मनाया जाएगा.

बुद्ध पूर्णिमा का महत्व
बुद्ध पूर्णिमा का दिन कई वजहों से विशेष माना जाता है. यह दिन भगवान बुद्ध के जन्म, सत्य का ज्ञान और महापरिनिर्वाण के तौर पर मनाया जाता है. वैशाख पूर्णिमा के दिन ही गौतम बुद्ध का जन्म हुआ, इसी दिन ज्ञान की प्राप्ति हुई. साथ ही वैशाख पूर्णिमा के दिन कुशीनगर में गौतम बुद्ध का महापरिनिर्वाण भी हुआ. भगवान बुद्ध के अनुयायी इस दिन भगवान बुद्ध के उपदेश सुनते हैं और उनके मार्ग पर चलने का प्रण भी लेते हैं. साथ ही इस दिन खीर का भी भोग लगाया जाता है. मान्यता है कि ऐसा करने से मानसिक शांति मिलती है और आसपास सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बना रहता है. बुद्ध पूर्णिमा के दिन भगवान बुद्ध के साथ भगवान विष्णु और चंद्र देव की पूजा करने का विशेष फल मिलता है.

किए जाते हैं ये कार्य
बुद्ध पूर्णिमा का पर्व केवल भारत में ही नहीं बल्कि नेपाल, थाईलैंड, श्रीलंका, म्यांमार आदि कई देशों में धूमधाम से मनाया जाता है. इस शुभ मौके पर भगवान बुद्ध की पूजा अर्चना की जाती है. बुद्ध पूर्णिमा को बुद्ध जयंती, पीपल पूर्णिमा और वैशाख पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन जल से भरे कलश, पंखा, छाता, जूता-चप्पल, सत्तू आदि का दान करना विशेष पुण्यदायक माना जाता है. बौद्ध मंदिरों में इस दिन विशेष पूजन किया जाता है