ये दुनिया बड़ी तेजी से आगे बढ़ रही है. आगे बढ़े भी क्यों ना. हर देश में अपनी जंग है, ना सिर्फ बाकी देशों से बल्कि खुद मुल्क के अंदर. ऐसे में हर देश चाहता है कि वो खुद को सिक्योर कर ले, और ऐसे में एक ऐसी इन्वेंशन होती है, जिसके बल पर किसी भी गली में, कहीं से भी बैठकर बस एक बटन दबाकर दुनिया के छोटे से छोटे और बड़े से बड़े सुपरपॉवर कंट्री को अपने इशारों पर नचाया जा सकता है. हम बात कर रहे हैं AI की. ये एक ऐसी तकनीक है, जिसने अभी से दुनिया का नक्शा बदलने की कवायद शुरू कर दी है, जिसे रोकना और काबू करना बहुत जरूरी है.
एक दो महीने पहले हॉलीवुड स्टार टॉम क्रूज की फिल्म मिशन इम्पॉसिबल: द फाइनल रेकनिंग आई थी. उस फिल्म में टॉम का किरदार भी इसी AI से लड़ता नजर आया था. इस बार हमारे हिम्मत सिंह भी कुछ-कुछ ऐसा ही करते दिखाई दे रहे हैं. फर्क बस इतना है, कि टॉम क्रूज की तरह किसी प्लेन से लटकर नहीं, बल्कि अपने सिम्पल से अंदाज में हिम्मत, ऑफिस के केबिन से बैठकर ये साइबर जंग लड़ रहे हैं.
जियो हॉटस्टार की सीरीज ‘स्पेशल ऑप्स’ का दूसरा सीजन आ गया है. सीरीज का लंबे वक्त से इंतजार था. जैसा की ट्रेलर से समझ में आ गया था, कि AI और साइबर अपराधियों से है से इस बार हिम्मत की जंग है. हालांकि, सीरीज का विलेन सिर्फ AI नहीं है. जब इस तरह की टेक्नोलॉजी किसी गलत इंसान के हाथ पड़ जाए तो इससे किसको कितना नुकसान हो सकता है, ये समझा जा सकता है. तो हुआ कुछ ऐसा है कि देश के सबसे बड़े साइंटिस्ट डॉ पीयूष भार्गव को किडनैप कर लिया गया है, साथ ही एक इंटेलीजेंस ऑफिसर को उसी के बॉडीगार्ड ने गोली मार दी.
स्पेशल ऑप्स हमेशा से ही के.के की सीरीज रही है. जितनी आसानी और गंभीरता से के.के, हिम्मत के किरदार को निभाते हैं, वो इस सीरीज की जान है. बिना किसी लाग लपेट और बिना किसी तीम झाम के इस सीरीज की कहानी बुलेट स्पीड से आगे बढ़ती है. आप अगर सोच रहे हैं कि कोई काम करते हुए इस सीरीज को निपटा लेंगे, तो आपको बता दें, कि नीरज पांडे का डायरेक्शन और सीरीज का स्क्रीनप्ले आपको पलक झपकाने का मौका भी नहीं देगा. कहानी में इस तरीके से टर्न आते है कि आपको फोन या टीवी से चिपकना पड़ेगा तभी सीरीज समझ आएगी, एक सीन मिस और कहानी को पकड़ना मुश्किल हो जाता है.
स बार के.के के अलावा सीरीज में एक और शो स्टीलर है, और वो हैं ताहिर राज भसीन. शो में उनको एक स्पेशल नाम दिया गया है, मिस्टर कलेक्टर. ऐसा क्यों है, ये भी एक दिलचस्प कहानी है. ताहिर के किरदार में एक अजीब सा स्टाइल है, जो आपकी नजर उनसे हटने नहीं देता. ये विलेन खुंखार नहीं है, ना ज्यादा बोलता है और ना ही दुनियाभर के डायलॉग मारता है, बल्कि मासूम सी शक्ल में एक शैतानी दिमाग लेकर ये शख्स आंखों के नीचे से काजल चुराने वाली अदा रखता है. के.के यानी हिम्मत के सामने ये शख्स और उसका दिमाग सबसे बड़ी मुसीबत बन जाता है. सीरीज में और भी किरदार हैं जैसे, विनय पाठक, करण टैकर, गौतमी कपूर और अरिफ जकारिया, जिन्होंने कमाल का काम किया है.
सीरीज देखें या ना देखें?
शो के एक्शन सींस बढ़िया हैं और हैंड-टू-हैंड कॉबैट वाले सींस क्लासिक हैं. प्रोडक्शन वैल्यू काफी अच्छी है यानी आप एक बार सीरीज देखना शुरू करेंगे तो पूरी देखकर ही उठ पाएंगे. सीरीज में कुल 7 एपिसोड्स हैं, हर एपिसोड 50 मिनट से 1 घंटे का है और बिल्कुल खिंचा हुआ नहीं लगता. हां दिक्कत ये है कि एक के बाद एक टर्न की वजह से कई बार कहानी को समझना थोड़ा सा मुश्किल हो जाता है. एक बार में हिम्मत, जितनी चीजों से डील करता है, आप भी एक के बाद एक उन्हीं बातों से डील करते हैं, ऐसे में शो में हिम्मत और उनकी बेटी के बीच एक ऐसा एंगेल आता है, जिसे वैसे तो इमोशनल होना था, लेकिन वो उस तरह से आपको छू नहीं पाता. बाकी सीरीज मस्त है, आज फ्राइडे है, तो वीकेंड के लिए बढ़िया बिंज वॉच ऑप्शन है.